वीडियो जानकारी:<br />शब्दयोग सत्संग,<br />२३ दिसंबर, २०१८<br />जयपुर<br /><br />प्रसंग:<br /><br />क्या हम संतों के वचनों को भी अपने हिसाब से सुनते हैं?<br />संतों के वचन सुनकर भी हम बदल क्यों नहीं पाते?<br />संतों के वचन हमें द्रवित क्यों कर देते हैं?<br />क्या हमें वास्तव में सुनना आता है?<br />अपनी धारणा के विरुद्ध कुछ भी सुनना बुरा क्यों लगता है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते